लेकिन
गांधी जी की तीन विधवा ओ
की कहानी किसी ने नहीं सुनी ।
आइए वो रोचक किस्सा बताती हूं।
Three widows of Mahatma Gandhi!
ये इ.सं. 1930-31 की घटना है. कांग्रेस का कारोबारी बेठक दिल्ली में मिली।
बैठक के अंत में जब श्रीमती सरोजिनी नायडू बाहर आए तो एक अमेरिकी पत्रकार उनकी ओर लपका। वह बेचारा अमेरिका से पहली बार भारत आया था। उन्हें कांग्रेस की कार्यप्रणाली के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन उनमें जिज्ञासा थी।
उन्होंने श्रीमती नायडू से पूछा; 'क्या आप कृपया मुझे बता सकते हैं कि कांग्रेस की कार्यकारिणी में कितनी महिला सदस्य हैं?'
सरोजिनी देवी ने उत्तर दिया, "मैं एकमात्र महिला सदस्य हूं।"
लेकिन अमेरिकी रिपोर्टर तो और भी भ्रमित हो गया और उसने राजेंद्रबाबू, आचार्य कृपलानीजी और सरदार वल्लभभाई की ओर उंगली उठाई, जो कार्यकारिणी बैठक के मंच पर अपने कानों पर शॉल लपेटे हुए बैठे थे। उन्होंने सरोजिनी देवी से पूछा: 'तो ये तीनों कौन हैं?'
सरोजिनी देवी को एहसास हुआ कि अमेरिकी रिपोर्टर : तीनों नेताओं के आधे ढके चेहरों और कानों को शॉल से ढकने से : भ्रमित हो गया होगा, इसलिए वह तुरंत हंस पड़ीं और बोलीं: "ओह! आपका संदर्भ वहां बैठी उन शख्सियतो से है? अरे , वे तीनों तो गांधीजी की #"विधवाएँ" हैं।" "
बेचारा विदेशी पत्रकार!
उन्होंने गांधीजी के बारे में कई शानदार चमत्कार सुने थे, इसलिए उनका मानना था कि यह भी गांधीजी के चमत्कारों में से एक था!
और तो और , लेकिन जब गांधीजी जीवित और जागृत थे, तो उनकी विधवा कहां से आ गईं? उसने इसके बारे में सोचा भी नहीं!
स्त्रोत : 'नारी जीवन' पत्रिका, मई 1947 अंक।
एक अन्य दुर्लभ तस्वीर: प्रतिकात्मक रखती हूं।
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