https://upodaitie.net/4/6905195 Interesting facts about India and abroad: सितंबर 2024

अभिनेता और अभिनेत्री के बीच चुम्बन सीन कैसे शूट किया जाता है?


मैं कोई अभिनेता नहीं हूँ पर इस बारे में मैंने काफी रिसर्च किया तो मुझे पता चला की वर्तमान फिल्मों में जो चुम्बन सीन लिए जा रहें हैं वो सभी असली हैं।

जैसे की ये वाली सीन -


पर कुछ लोग होंगे जो इस बात पर विश्वास नहीं करेंगे। तो आइए मैं आपको एक्सप्लेन करके समझाता हूँ। शायद आपको मेरी बात समझ आ सके।

पुराने समय में

पुराने समय में जब चुम्बन सीन होता था तो पीछे से अभिनेता और अभिनेत्री के सर आप पास आते थे और फिर दो गुलाब के फूलों को आपस में चुम्बन करा दिया जाता था।


फिर थोड़ा आगे

फिर जब बॉलीवुड थोड़ा आगे बढ़ा तो अभिनेता और अभिनेत्रियों के लिए थोड़ा कठिन होने लगा।

क्योंकि उन्हें अब इस प्रकार से चुम्बन करना पड़ता था।


इस सीन में अभिनेता या अभिनेत्री के पीछे से कैमरा ले जाकर शूट होता था और वे दोनों बस अपने सर ऐसे हिलाते थे जैसे चुम्बन कर रहें हो।

थोड़ा और आगे

कई अभिनेत्रियों ने बताया कि कभी कभी अभिनेता मज़े लेने के लिए बार बार रिटेक लेता है इसलिए kissing सीन करने के लिए जल्दी वें राजी नहीं होतीं है।


इस प्रकार के चुम्बन सीन आप अभी भी कई फिल्मों में देखते होंगे।

यहाँ अभिनेता और अभिनेत्री के बीच एक पतला और एक दम साफ़ सीसा होता है जो कैमेरे में नहीं आता। और वे बस एक दूसरे के लिप पर kiss करके वापस आ जातें है।

पर अब ऐसा नहीं होता।


इस तरह के चुम्बन सीन किसी भी टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके नहीं लिए जा सकते। ऐसे सीन असली होते हैं।

हाँ कभी कभी ऐसा होता है कि अभिनेता या अभिनेत्री ऊपर से रबर की एक पतली लेयर पहने रहते हैं इस से ऐसा लगता है कि वे नग्न है और वे असल में नग्न नहीं रहते।

पर चुम्बन तो असली ही रहता है और चुम्बन सीन करने से पहले उन्हें कम से कम एक बार तो प्रैक्टिस करना होता है और उसके बाद असली शूटिंग होता है।

क्या राहुल गांधी की हरकतें संकेत करती हैं कि अमेरिका बीजेपी सरकार को हटाकर कांग्रेस को लाने की साजिश कर रहा है

क्या राहुल गांधी की हरकतें संकेत करती हैं कि अमेरिका बीजेपी सरकार को हटाकर कांग्रेस को लाने की साजिश कर रहा है
बीजेपी को हटाने के लिए भारत और भारत की जनता ही सक्षम है। बीजेपी को हटाने के लिए अमेरिका की अवश्यकता नहीं है। बस हिंदू जगाने के नाम पर बीजेपी ने देश को जो मूर्ख बनाया है उसे भर यहां के जवानों को समझना है। एक झटके ने भारतीय जनता बीजेपी को निकल फेकेगी। बीजेपी के सत्ता में आने के पीछे बीजेपी की शक्ति नहीं है वो आई सत्ता में कांग्रेस की कमजोरी के कारण। जिस प्रकार महाभारत में गंगापुत्र भीष्म को मारने के लिए सिखंडी का स्तेमाल किया गया उसी प्रकार अन्ना हजारे का उपयोग राजनैतिक और कुटनिक तौर पर ऐसे किया गया की कांग्रेस के भीष्म पितामह सब चित्त हो गए। वर्तमान कहानी अभिमन्यु के लिए जिस प्रकार चक्रव्यू रची गई थी उसी प्रकार राहुल गांधी जी के लिए चक्रब्यू रची जा रही है। लेकिन यह कलियुग की महाभारत है इसमें धर्म और अधर्म की लड़ाई में धर्म की जीत होगी। राहुल गांधी जी सभी प्रकार के चक्रब्यु को भेदकर निकल जाएंगे क्योंकि वे सत्यवादी हैं ,और मोदी झूठ बोलने की मशीन है। अमेरिका कभी भी छोटी मोटी बात में ह्तक्षेप करके अपना नाम खराब नहीं करेगा। चांद, मंगल, ग्रह, नक्षत्र, नासा, वैज्ञानिक अनुसंधान, खोज, अटेमिक पॉवर, बायोलॉजिकल व्रेपन, आदि में अमेरिका उंगली डाल सकता है, एक टुच्चा सा आदमी को वो भी दूसरे देश का, उसे हटाकर अपना हाथ गंदा कभी नहीं करेगा।

ज्यादा दिन नहीं जाएगा, जल्दी ही मोदी सरकार खत्म हो जाएगी, अगर बीजेपी सता कुर्सी नहीं छोड़ी तो देश के पीड़ित लोग, बेरोजगार लोग बांग्लादेश की तरह कर देंगे , और हो सकता है की दोनो टकले नेपाल में शरणार्थी बनकर भाग जाएं। वर्तमान में देश तबाही के दौर से गुजर रहा है, वैश्विक पटल पर देश की स्तिथि बहुत नाजुक और संवेदनशील है। सारे मुसलमान, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध, आदिवासी और नास्तिक समेत सभी अल्पसंख्यकों का समूह सरकार के राजनैतिक शिकार हुए हैं। अंदर से आग सबको लगी है, सबसे ज्यादा आग हम हिंदुओं को लगी है,लेकिन धर्म का और मीडिया का स्तेमाल जिस चालाकी से वो कर रहे हैं उसके कारण कुछ समय के लिए स्तिथि टली है लेकिन ज्यादा समय तक बीजेपी का स्वांग नहीं चलेगा। पहला लाठी बीजेपी के खिलाफ हिंदू ही उठाएगा और धर्मी के नाम पर मार काट करवाने वाली पार्टियों को उखाड़ने के लिए आह्वान करेगा , सभी धर्म के लोग मिलकर बीजेपी को सत्ता से ही नहीं देश से भी माफीबिर की विचार धारा को तिलांजलि दे देंगे। अर्थी बन चुकी है बस आखरी मंत्रोचार अर्थात घोषणा की जरूरत है। भाजपा जा रही है वो भी बिना अमेरिका के।
code": 12, "message": "invalid OpenRTB request format", "StatusCode": 400, "Compiled": null }

अमिताभ बच्चन ने अपने जीवन में सबसे बड़ी गलती क्या की है?

👉 अमिताभ बच्चन ने अपने जीवन में सबसे बड़ी गलती क्या की है?
https://upodaitie.net/4/6905195
अमिताभ बच्चन ने अपनी कंपनी खोली abcl, और अपनी कंपनी के द्वारा फ़िल्म बनाने की घोषणा की। और कहा गया कि हम देश भर से युवा चेहरों को चुन कर अपनी फ़िल्म में मौका देंगे, अखबारों में पूरे पेज़ का विज्ञापन दिया गया था, फार्म जारी किया गया था और फीस रखी गई थी 1000 या शायद 500 ठीक से याद नहीं है लेकिन इन्हीं दोनो में से कोई एक रकम थी, जो उस समय के हिसाब से नौजवान युवाओं के लिए एक बड़ी रकम थी।90 के दशक में अभिताभ बच्चन आज से भी बड़ा नाम था या ये मान लीजिए कि बच्चन साहब आज भी 1975 से 1995 की लोकप्रियता के दम पर ही 2024 में भी कामयाब हैं।

बच्चन साहब के नाम पर देश भर से दसियो लाख युवाओं ने फार्म भरा और फीस दी और इस उम्मीद में थे कि उनका स्क्रीन टेस्ट होगा। एक बात स्पष्ट कर दू कि मैं उनमें से नहीं था🤓🤓 क्योंकि मुझे अपने थोबड़े की हकीकत मालूम थीं और इसी वजह से आज भी dp नहीं लगाता हूं 😟😟।

और एक दिन अचानक abcl ने फिल्म ' तेरे मेरे सपने' की घोषणा कर दी और बताया कि फिल्म के लिए अरसद वारसी और चन्द्रचुड़ सिंह को चुना गया है, मेरे कई दोस्तों ने फार्म भरा था उन्हें किसी प्रकार का कोई बुलावा स्क्रीन टेस्ट के लिए नहीं आया था। ख़ैर फिल्म तो हिट हो गई उसी फिल्म का गाना हाल ही में रीमिक्स हो कर आया था' लड़की आंख मारे' फिल्म सिम्बा में।

देश के नौजवानों ने इतनी आह भरी की abcl डूब गई और बच्चन साहब बड़े कर्ज में आ गए और कर्ज से निकलने में दुर्दशा हो गई थी।

इस पूरी कहानी का मोराल यह है कि अगर आप का कद बहुत बड़ा हो और साधारण लोग सपने लेकर आप से जुड़े हो वहां बहुत सतर्क रहना चाहिए होशियारी नहीं दिखानी चाहिए वो आप का कुछ बिगाड़ तो नहीं पायेंगे लेकिन वो आप को आसमान से जमीन पर ला देंगे

बॉलीवुड स्टार राजेश खन्ना के अनसुने किस्से। ✔️बॉलीवुड के रोचक तथ्य !

👉 बॉलीवुड स्टार राजेश खन्ना के अनसुने किस्से। ✔️बॉलीवुड के रोचक तथ्य !

राजेश खन्ना सुपरस्टार बन गए, लेकिन सुपरस्टारडम को संभालने में असफल रहे। एक समय था जब राजेश को उनके प्रशंसक 'भगवान' की तरह पूजते थे। समस्या तब शुरू हुई जब राजेश वास्तव में खुद को सब का भगवान मानने लगे।

राजेश ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म "अखारी खत" से की, जो बॉक्स ऑफिस पर असफल रही। लेकिन "आराधना" एक सुपरहिट फिल्म बन गई और राजेश रातोंरात सुपरस्टार बन गए। लेकिन सफलता उनके सिर पर हावी हो गई।

राजेश के बुरे व्यवहार का पहला शिकार उनकी पहली प्रेमिका अंजू महेन्द्रू थी। राजेश ने अंजू को छोड़ दिया और डिंपल कपाड़िया से शादी कर ली। राजेश अंजू को तड़पाने चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपनी बारात अंजू के घर के आगे से निकाली।

राजेश के करीबी लोग उन्हें बताते रहे कि वह "सबसे बड़े सुपरस्टार" हैं। वह अपने बंगले आशीर्वाद में एक नियमित दरबार लगाते थे जिसमें निर्माता मोहन कुमार और जॉनी बख्शी, लेखक वीके शर्मा और खलनायक रूपेश कुमार जैसे कुछ खास लोग मौजूद रहते थे।

अहंकार से भरपूर राजेश फिल्म सेट पर देर से पहुंचते थे। राजेश के साथ काम करना निर्देशकों के लिए एक बड़ी चुनौती थी क्योंकि राजेश अपने सह-अभिनेताओं के साथ कठोरता से पेश आते थे।

चार साल के स्टारडम के बाद ही राजेश के घमंड को एक युवा अभिनेता अमिताभ बच्चन ने जमीन पर ला पटका। अमिताभ एक एंग्री-यंग-मैन थे जो तुरंत लोगों को भा गए। अमिताभ बहुत ही पेशेवर, विनम्र और हमेशा निर्माता और निर्देशकों के लिए उपलब्ध रहने वाले अभिनेता बने। जैसे ही अमिताभ ज्यादा फिल्मों में नजर आए, लोग राजेश खन्ना को भूल गए।

बेरोजगार, पराजित, लेकिन फिर भी जिद्दी राजेश ने अपने घर से बाहर जाना बंद कर दिया और भारी शराब पीना शुरू कर दिया। उनकी पत्नी, बेटी और परिवार के सदस्यों ने उन्हें अकेला छोड़ दिया। बुढ़ापे के दौरान राजेश के साथ केवल एक व्यक्ति मौजूद था, अभिनेत्री अनीता आडवाणी। जब राजेश का निधन हुआ, तब उनके साथ केवल अनीता मौजूद थी।

राजेश ने सब कुछ कमाया क्योंकि वह एक अद्भुत कलाकार थे, लेकिन सब कुछ खो दिया क्योंकि एक व्यक्ति के रूप में वह गलत हो चुके थे।

गांधी जी की तीन विधवाओ की कहानी । story of mahatma gandhi

गांधी जी के तीन बंदर की कहानी सब ने सुनी है

लेकिन

गांधी जी की तीन विधवा ओ

की कहानी किसी ने नहीं सुनी ।

आइए वो रोचक किस्सा बताती हूं।

Three widows of Mahatma Gandhi!

ये इ.सं. 1930-31 की घटना है. कांग्रेस का कारोबारी बेठक दिल्ली में मिली।

बैठक के अंत में जब श्रीमती सरोजिनी नायडू बाहर आए तो एक अमेरिकी पत्रकार उनकी ओर लपका। वह बेचारा अमेरिका से पहली बार भारत आया था। उन्हें कांग्रेस की कार्यप्रणाली के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, लेकिन उनमें जिज्ञासा थी।

उन्होंने श्रीमती नायडू से पूछा; 'क्या आप कृपया मुझे बता सकते हैं कि कांग्रेस की कार्यकारिणी में कितनी महिला सदस्य हैं?'

सरोजिनी देवी ने उत्तर दिया, "मैं एकमात्र महिला सदस्य हूं।"

लेकिन अमेरिकी रिपोर्टर तो और भी भ्रमित हो गया और उसने राजेंद्रबाबू, आचार्य कृपलानीजी और सरदार वल्लभभाई की ओर उंगली उठाई, जो कार्यकारिणी बैठक के मंच पर अपने कानों पर शॉल लपेटे हुए बैठे थे। उन्होंने सरोजिनी देवी से पूछा: 'तो ये तीनों कौन हैं?'

सरोजिनी देवी को एहसास हुआ कि अमेरिकी रिपोर्टर : तीनों नेताओं के आधे ढके चेहरों और कानों को शॉल से ढकने से : भ्रमित हो गया होगा, इसलिए वह तुरंत हंस पड़ीं और बोलीं: "ओह! आपका संदर्भ वहां बैठी उन‌ शख्सियतो से है?‌ अरे , वे तीनों तो गांधीजी की #"विधवाएँ" हैं।" "

बेचारा विदेशी पत्रकार!

उन्होंने गांधीजी के बारे में कई शानदार चमत्कार सुने थे, इसलिए उनका मानना था कि यह भी गांधीजी के चमत्कारों में से एक था!

और तो और , लेकिन जब गांधीजी जीवित और जागृत थे, तो उनकी विधवा कहां से आ गईं? उसने इसके बारे में सोचा भी नहीं!

स्त्रोत : 'नारी जीवन' पत्रिका, मई 1947 अंक।

एक अन्य दुर्लभ तस्वीर: प्रतिकात्मक रखती हूं।

नरेंद्र मोदी शानदार भाषण कैसे देते हैं ?इसमें कोई गलती क्यों नहीं होती

नरेन्द्र मोदी अपने लम्बे भाषणों को बिना एक भी गलती के कैसे याद रखते हैं?


आप जानना चाहते हैं कि नरेन्द्र मोदी अपने लंबे-लंबे भाषणों को बिना एक भी गलती के कैसे याद रखते हैं, तो आइए देखें:- 👍✔️

श्री मोदी भाषण देते समय कागज नहीं पढ़ते (हालांकि वह अपने पास कागज रखते हैं) क्योंकि आजकल कोई भी बुद्धिमान व्यक्ति ऐसा नहीं करता।

वे एक बेहतरीन वक्ता हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन चुनावी रैली में बोलना (जहाँ आप अंतहीन शेखी बघार सकते हैं और कभी-कभी तथ्यों को तोड़-मरोड़ भी सकते हैं) किसी आधिकारिक स्थान (जैसे संयुक्त राष्ट्र या ब्रिक्स) पर बोलने से बहुत अलग होता है।

ऐसी बैठकों में, विश्व के अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों की तरह श्री मोदी भी टेलीप्रॉम्प्टर का उपयोग करते हैं (यह वक्ता को डिजिटल रूप से सहायता प्रदान करता है तथा साथ ही अन्य लोगों के लिए इसे नोटिस करना भी कठिन होता है)।


कैपिटल हिल में मोदी

❔टेलीप्रॉम्प्टर कैसे काम करता है? 

टेलीप्रॉम्प्टर को इस तरह से रखा जाता है कि पाठ व्याख्यान-पीठ के पीछे से स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, यह सामने बैठे दर्शकों के लिए पूरी तरह से अदृश्य है क्योंकि स्क्रीन दूसरी तरफ से पारदर्शी है। पर्दे के पीछे एक टेलीप्रॉम्प्टर ऑपरेटर होता है, जो स्क्रॉलिंग टेक्स्ट की गति को नियंत्रित करता है, वक्ता की गति का सावधानीपूर्वक अनुसरण करता है।

भाषण के दौरान वक्ता बस एक टेलीप्रॉम्प्टर से दूसरे टेलीप्रॉम्प्टर की ओर देखता है। इससे ऐसा लगता है कि वह भाषण देते समय दर्शकों की ओर देख रहा है।

टेलीप्रॉम्प्टर ऑपरेटर वक्ता की गति के अनुरूप स्क्रिप्ट की गति को नियंत्रित करता है।

पढ़ने के लिए धन्यवाद 😀.

अगर आपको यह जवाब पसंद आया तो इसे अपवोट और शेयर जरूर करें। आप इस बारे में क्या सोचते हैं, आप कमेंट भी कर सकते हैं।

  div id="score-frame"> Live Cricket Scores